Thursday, June 16, 2011


न्गूगी कॆ कुछ कथन
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१. हम अफ्रीकी लेखक् इतने कमज़ोर कैसे पद गए कि हम दूसरी भाषाओं पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैम्>.. खासकर, उपनिवेशन की भाषा पर?

२. १८८४ का बर्लिन तलवार और गोली से प्रभावित था.पर तलवार और गोली की रात के बाद खडिया और ब्लेकबोर्ड की सुबह आई.युद्धक्षेत्र की शारीरिक हिंसा कक्षा की मानसिक हिंसा में तब्दील हो गई.मेरी दृष्टि में भाषा ही वह महत्वपूर्ण वाहिका थी जिसके द्वारा वह अधिकार बच्चों को अचंभित और उनकी आत्मा को बंदी बना सका.मैं अपनी ही शिक्षा के अनुभवों से कुछ उदाहरण देकर इस बात की पुष्टि करना चाहूंगा.

३. हम घर में और बाहर भी गिकुयु भाषा बोलते थे(यही केन्या में अधिकतर लोगों की भाषा है)हम सर्दियों में आग जलाकर उसके चारों ओर बैठ जाते और अपनी भाषा में कहानियां सुनते.फिर उन्हें उन बच्चों को जाकर सुनाते जो यूरोप और अफ्रीकी ज़मींदारों के खेतों  बागीचों में और चाय के बागानों में  काम करते थे.

४. इन कहानियों की विषयवस्तु हमेशा ही सहकारिता और समूह की भलाई हुआ करती थी.(उन्होंने कहानी को बेहतरीन तरीके से कहने और गडबड करके कहने के फर्क को समझाया.)इस तरह हमें शब्दों की अहमियत और भावों की सूक्ष्मता का आभास मिलता था.भाषा का अर्थ केवल शब्दों की लडी नहीं है.शब्दों से परे उसकी एक गूढार्थ भी होता है.पहेलियों,लोकोक्तियों,अक्षरों को इधर उधर करके अर्थ बदल देना,ऐसे खेलों से हमें भाषा के जादू का मर्म समझ में आ जाता था.कभी कभी अर्थहीन शब्दों से संगीत का सृजन करने का खेल भी हम खेलते थे.पाठशाला में सीखने की भाषा,हमारे समाज में बोली जानेवाली भाषा और खेतों में काम करते वक्त बोली जाने वाली भाषा एक होती थी.

५. उसके बाद मैं पाठशाला गया,एक उपनिवेशी स्कूल,तब यह तालमेल में बाधा आई.मेरी शिक्षा जिस भाषा में होने लगी वह मेरी संस्कृति की भाषा नहीं थी.मेरी श्क्षा का माध्यं अंग्रेज़ी हो गया.केन्या में अंग्रेज़ी एक भाषा से भी बढकर थी: वही एकमात्र भाषा रह गई और सबको उसके सामने आदर से सिर झुकाना पड गया.

६. सबसे अपमानजनक संदर्भ वह होता था जब किसी बच्चे को स्कूल के आहाते के अंदर गिकुयू बोलते हुए पकड लिया जाता.अपराधी को कडी सज़ा दी जाती थी...तीन से पांच तक बेम्तों की मार नंगे पुट्ठों पर...या गर्दन पर एक लोहे का तख्ता लटका दिया जाता था जिसपर लिखा होता था’ मैं मूर्ख हूं ’ अथवा ’ मैं एक गधा हूं ’.कभी कभी तो अपराधी को पैसे भरने पडते जो वह भर नहीं पाता.और अध्यापक अपराधियों को पकडते कैसे थे? किसी एक विद्यार्थी को एक बटन दिया जाता और बताया जाता कि कोई भी विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में बात करता दिख जाए उसे वह बटन थमा दे.स्कूल खतम होते वक्त जिसके पास वह बटन मिल जाता वह यह बता देता कि किसने उसे वह बटन दिया है.इस सिलसिले में वे सभी विद्यार्थी पकड लिए जाते जिन्हों ने अपनी मातृभाषा में बात की.इस तरह बच्चों को अपनों के विरुद्ध जासूसी करना सिखाया जाता था.और इस दौरान अपनों के प्रति विद्रोह करने से मिलने वाले लाभ के बारे में भी अवगत किया जाता था.

७. पर अंग्रेज़ी भाषा के प्रति उनका व्यवहार इसके बिल्कुल विपरीत था:अंग्रेज़ी बोलने या लिखने में ज़रा भी कुशलता हासिल की जाती तो पुरस्कार मिलते.अगर अंग्रेज़ी में अनुत्तीर्ण हो गए तो फिर वह सभी परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण समझा जाता,चाहे दूसरे विषयों में उसने कितना भी बेहतरीन काम क्यों न किया हो.उपनिवेशी संभ्रांतता प्राप्त करने केलिए अंग्रेज़ी को ही वाहन और जादुई सिद्धांत माना जाता था.

८. सत्रह साल आफ्रो- यूरोपीय( मेरे संदर्भ में आफ्रो-अंग्रेज़ी) साहित्य से जुडे रहने के पश्चात, मैंने १९७७ में गिकुयी भाषा में लिखना शुरू किया था.मेरा गिकुयू में ...एक केन्याई भाषा में...एक अफ्रीकी भाषा में...लिखना साम्राज्यवाद के विरुद्ध केन्या और अफ्रीकी जनता के द्वारा किए गए संघर्ष का ही एक भाग मानता हूं.स्कूलों और विश्वविद्यालयों में हमारी केन्याई भाषा को , पिछडापन,विकास का अभाव ,अपमान और दंड का प्रतीक माना गया था.उस स्कूली शिक्षा से गुज़रकर हमें अपने ही लोगों से,अपनी ही भाषा से और अपनी ही संस्कृति से नफरत करना सीखना था.वर्ना हम अपमानित और दंडित हो जाते.मैं नहीं चाहता कि केन्या के बच्चे,अपने ही समुदाय और इतिहास द्वारा संपर्क केलिए बनाए गए उपकरणों से नफरत करते हुए बडे हों.मैं चाहता हूं कि वे इस उपनिवेशी अलगाव नीति से ऊपर उठें.

९. पर अपनी भाषा में लिखने मात्र से अफ्रीकी संस्कृति का पुनर्जागरण नहीं होने वाला.इसके लिए उस साहित्य में हमारी जनता का,अपनी उत्पादक शक्तियों को विदेशी चंगुल से छुडाने केलिए किए गए साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष का चित्रण भी होना ज़रूरी है.साहित्य यह बताने में सक्षम हो कि मज़दूरों और किसानों में एकता की आवश्यकता है,ये सब मिलकर उस संपत्ति पर अपना अधिकार जमा लें जिसे वे उत्पन्न कर रहे हैं.इसकेलिए उन्हें संघर्ष करना होगा और अंदर और बाहर इसपर जडें जमाए बैठे परभक्षियों से इसे मुक्त कराना होगा.

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अनुवाद : आर.शांता सुंदरी

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